Sunday, May 22, 2022

हिंद महासागर में जुड़वा चक्रवात (समीक्षा)

@thehindu

हाल ही में, हिंद महासागर क्षेत्र में एक साथ दो चक्रवातों असानी (Asani) और करीम (karim) का निर्माण हुआ है, जो क्रमशः उत्तरी गोलार्द्ध और दक्षिणी गोलार्द्ध में निर्मित हुए हैं। जैसा कि यह विदित है कि ये चक्रवात एक ही देशांतर में उत्पन्न होने वाले जुड़वां चक्रवात हैं। बंगाल की खाड़ी में उत्पन्न होने वाला असानी चक्रवात का नाम श्रीलंका द्वारा प्रदान किया गया है, जबकि करीम चक्रवात दक्षिणी हिंद महासागर में उत्पन्न हुआ है।



क्या है जुड़वां चक्रवात 

  • जुड़वां चक्रवात कोई दुर्लभ घटना नहीं हैं। विदित है कि वायु और मानसून प्रणाली की परस्पर क्रिया पृथ्वी प्रणाली के साथ मिलकर इन समकालिक चक्रवातों का निर्माण करती है। जुड़वां उष्णकटिबंधीय चक्रवातों की उत्पत्ति भूमध्यरेखीय रॉस्बी तरंगों के कारण होती हैं।



रॉस्बी तरंगें : 

  • रॉस्बी तरंगें समुद्र में लगभग 4,000-5,000 किलोमीटर की तरंगदैर्ध्य के साथ उत्पन्न होने वाली विशाल लहरें हैं।

  • इस प्रणाली में उत्तरी गोलार्द्ध में निर्मित चक्रवात और दक्षिणी गोलार्द्ध में निर्मित चक्रवात एक - दूसरे की दर्पण छवि के समान होता है।

  • उत्तर में निर्मित चक्रवात वामावर्त (counter clockwise) घूमता है और एक सकारात्मक स्पिन निर्मित होता है, जबकि दक्षिणी गोलार्द्ध में चक्रवात दक्षिणावर्त दिशा (clockwise) में घूमता है और इसलिये एक नकारात्मक स्पिन निर्मित होता है। 

  • रॉस्बी तरंगों का नाम प्रसिद्ध मौसम विज्ञानी कार्ल-गुस्ताफ रॉस्बी के नाम पर रखा गया है। इन्होंने सर्वप्रथम यह बताया कि ये तरंगें पृथ्वी के घूमने के कारण उत्पन्न होती है।




मैडेन-जूलियन ऑसिलेशन (Madden-Julian Oscillation : MJO)

  • यह वर्षा को प्रभावित करने वाला एक कारक है जो चक्रवात के निर्माण में सहायक होता है। यह एक प्रकार की तरंग संरचना है जिसे मुख्य रूप से समुद्र में देखा जाता हैं।

  • एम.जे.ओ. बादलों और संवहन तंत्र का एक बड़ा समूह है, जिसका आकार लगभग 5000-10,000 किलोमीटर होता है। इसका निर्माण रॉस्बी तरंग और केल्विन तरंग के कारण होता है।  

  • हालांकि, सभी उष्णकटिबंधीय चक्रवात एम.जे.ओ. से उत्पन्न नहीं होते हैं। कभी-कभी यह केवल रॉस्बी तरंग के कारण ही उत्पन्न होते हैं।




उष्णकटिबंधीय चक्रवातों की उत्पत्ति : 

  • उष्णकटिबंधीय चक्रवातों की उत्पत्ति महासागरों पर होती है और ये तटीय क्षेत्रों की ओर गतिमान होते हैं।

  • इनकी उत्पत्ति एवं विकास के लिये अनुकूल परिस्थितियाँ है------

  • बृहद समुद्री सतह;

  • जहाँ तापमान 27° सेल्सियस से अधिक हो;

  • कोरिआलिस बल का होना;

  • उर्ध्वाधर पवनों की गति में अंतर कम होना;

  • कमजोर निम्न दाब क्षेत्र या निम्न स्तर का चक्रवातीय परिसंचरण का होना;

  • समुद्री तंत्र पर ऊपरी अपसरण।

  • जब गर्म और शुष्क वायु ऊपर उठती है और समुद्र की सतह से दूर जाती है, तो निम्न वायुदाब का क्षेत्र उत्पन्न होता है। यह आसपास के क्षेत्रों से वायु को उच्च दबाव वाले क्षेत्र से कम दबाव वाले क्षेत्र की ओर ले जाने का कारण बनता है।


जैसे ही गर्म एवं नम वायु ऊपर उठती है और ठंडी होती है तो वायु में उपस्थित पानी बादल बनाता है। इस प्रकार, चक्रवातों को अधिक विध्वंसक करने वाली ऊर्जा संघनन प्रक्रिया द्वारा ऊँचे कपासी स्तर मेघों से प्राप्त होती है, जो इस चक्रवात के केंद्र को घेरे होती है। महासागरों से लगातार आर्द्रता की आपूर्ति के कारण ये चक्रवात अधिक प्रबल हो जाते हैं। स्थल पर पहुँचकर आर्द्रता की आपूर्ति रुक जाती है, जिससे ये तूफ़ान क्षीण हो जाते हैं।

विदित है कि पृथ्वी के 5° उत्तर और 5° दक्षिण अक्षांशों के बीच भूमध्यरेखीय बेल्ट में कोरिओलिस बल की उपस्थिति नगण्य होती है, फलतः इस क्षेत्र में चक्रवाती तंत्र विकसित नहीं होते हैं।

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