Aerial view of peatland forest at Lokolama/Penzele around Mbandaka, Équateur province, DRC @Greenpeace
आज के समाज की नैतिक जिम्मेदारी है कि पर्यावरण के विभिन्न पहलुओं पर विचार विमर्श करके उसे संरक्षण प्रदान करें। पर्यावरण के विभिन्न पहलुओं में से एक है ट्रॉपिकल (उष्णकटिबंधीय) जंगलों का संरक्षण,
हमारे जंगल जो परोक्ष रूप से कार्बन का अवशोषण करते है जिनमे ट्रॉपिकल जंगल मुख्य है,का संरक्षण प्रमुखता की विषयवस्तु है। विभिन्न विश्वविद्यालयों के शोधों में इस बात को प्रमुखता दी है कि कार्बन अवशोषण की क्षमता का ह्रास होना मानवीय मूल्यों की नैतिकता के ह्रास को दर्शाता है। मानवीय गतिविधियों के कारण ग्रीनहाउस गैस की मात्रा में भी लगातार वृद्धि हो रही है।ऐसे में धरती को बचाने के लिए ट्रॉपिकल जंगलों का संरक्षण बेहद जरूरी हो जाता है इससे न केवल कार्बन की मात्रा नियंत्रण में रहेगी ,बल्कि तापमान वृद्धि में भी कमी आएगी।
जंगलों की कटाई से नुकसान:वनों को कटाई से बचाने से आस - पास के क्षेत्रों में इसके तात्कालिक असर (कार्बन की मात्रा में कमी, तापमान में अंतर, मौसमी विसंगतियों में कमी) जरूर नज़र आए है। इसका उदाहरण अमेज़न है जिसके परिणाम स्वरूप पूरे अमेज़न बेसिन में कुल बायोमास का ५.१ प्रतिशत अतिरिक्त नुकसान हुआ है। ऐसे ही कांगो बेसिन में जंगल की कटाई से ३.८ प्रतिशत अतिरिक्त बायोमास का नुकसान हुआ। ट्रॉपिकल वान अपने भूमिगत बायोमास में लगभग 200 पेटाग्राम (एक पेटाग्राम एक ट्रिलियन किलोग्राम के बराबर होता है।) कार्बन जमा करते है। 2010 से वनों की कटाई हर साल उस कार्बन का लगभग एक पेटाग्राम हटा रही है। दूसरे शब्दों में कहें तो इनकी कटाई से कार्बन के जमा होने में कमी सा रही है और वातावरण में कार्बन की मात्रा बढ़ रही है।
अतः यह कहा जा सकता है की जंगलों की कटाई से आस पास के क्षेत्रों पर हवा,तापमान और वर्षा पर निश्चित रूप से प्रभाव पड़ता है जो कार्बन की मात्रा को भी बढ़ाता है।
1 comment:
महत्वपूर्ण विषय।
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