Sunday, April 24, 2022

एस.जयशंकर: लाज़वाब विदेशमंत्री (समीक्षा)


वर्ष 1959 में रिलीज हुए अमेरिकी एल्बम 'The Hitmakers' को सुनकर उस किशोर (एस. जयशंकर) की रूचि केवल संगीत में ही नहीं जागी, बल्कि विश्व को जानने की ललक और भी बढ़ गई।  समय बीता और आज लगभग 45 वर्ष के बाद वही किशोर अमेरिकियों को उन्हीं की धरती पर अपनी मखमली और दृढ़ रवैये से करारा जवाब देता है। मूलतः तमिलनाडु से संबंध रखने वाले जयशंकर दिल्ली में पले-बढ़े। जेएनयू में पढ़े जयशंकर ने राजनीति शास्त्र में परास्नातक करने के बाद पीएचडी भी की। विदेश को जानना उनका बचपन का प्यार जैसा रहा। ऐसे हैं आज के भारत के विदेश मंत्री सुब्रमण्यम जयशंकर,

 बीते सप्ताह, भारत के आंतरिक मामलों में अमेरिकी दखल पर जयशंकर का सख्त संदेश और रूस से तेल ना खरीदने पर विदेशी मीडिया को गिरेबां में झांकने की सलाह देता 'An Afternoon' वाला करारा जवाब यह बताने के लिए काफी है कि दुबली-पतली काया के स्वामी जयशंकर बेहद सख्त प्रशासक और जानकार मंत्री हैं।

 बीते दिनों टू प्लस टू वार्ता के बाद साझा प्रेस कॉन्फ्रेंस में अमेरिकी विदेश मंत्री ने कहा कि भारत में हाल ही में हुई घटनाओं पर अमेरिका निगाह बनाए हुए है उसके उपरांत जयशंकर ने जैसे को तैसा के अंदाज में अमेरिका को जवाब दे दिया। शब्द देखिए, "मैं बताना चाहता हूं कि हम भी अन्य लोगों के मानवाधिकार उल्लंघन के मामलों पर निगाह रखते हैं और इसमें अमेरिका भी शामिल है" और साथ ही उन्होंने अमेरिका में दो सिखों के साथ हुई घटनाओं का जिक्र कर हाथ कंगन को आरसी क्या….., की तर्ज पर अपने बयान को सही साबित कर दिया।

 जयशंकर विदेश सेवा से आकर विदेश मंत्री बनने वाले पहले शख्स नहीं है, उनसे पहले कांग्रेस शासन में नटवर सिंह ऐसे विदेश मंत्री थे जो विदेश सेवा से आए थे लेकिन एस. जयशंकर की बात ही अलग है। वह विदेश सचिव से विदेश मंत्री बनने पहले ऐसे राजनयिक हैं जिन्हें विदेश मंत्रालय का राजनीतिक नियंत्रण भी सौंपा गया। किसी को कुछ नहीं पता था जब 2015 में विदेश सचिव बनने वाले जयशंकर को रिटायरमेंट के केवल 16 महीने बाद ही वह मिला जिसकी वह कल्पना भी नहीं कर रहे थे और ना ही किसी को अंदाजा था। जयशंकर को देश का विदेश मंत्री बनाया गया नई जिम्मेदारी मिलने के बाद वह मीडिया के कैमरों के फ्लैश की चमक के बीच खड़े थे तो अधिक लोगों को अंदाजा नहीं था कि दुबली-पतली काया वाला यह शख्स अपनी स्पष्टवादिता, कूटनीति के अथाह ज्ञान और मधुर किंतु सख्त संदेश देने वाली वाणी के साथ पूरे विश्व में भारत की एक अलग छवि का शिल्पकार बनेगा।

  •  विदेश सचिव के तौर पर चीन के खिलाफ बेहद सख्त रवैया अपनाया बेल्ट एंड रोड इनीशिएटिव पर भारत का मजबूत पक्ष रखा।

  •  2012 में अमेरिका में भारतीय राजनयिक देवयानी खोबरागड़े के साथ एयरपोर्ट पर तलाशी की घटना के बाद कूटनीतिक विवाद को सहजता से सुलझाया।

  •  अमेरिका के साथ परमाणु करार करवाने में भी अहम भूमिका रही।

  •  यूक्रेन को लेकर अपना ही नैरेटिव पेश करने में लगे पश्चिम ने जब रूस से उर्जा आयात पर भारत पर बेवजह आरोप मढ़े तो जयशंकर ने बहुत ही सधे अंदाज में कहा, "आपका ध्यान यूरोप की तरफ होना चाहिए हम रूस से जितना तेल एक माह में खरीदते हैं उतना तो यूरोप दोपहर भर में खरीद लेता है" 

  • जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने के बाद विदेशी मीडिया में एक नैरेटिव सेट करने का कुत्सित प्रयास हो रहा था तो जयशंकर ने कैसे धाराप्रवाह अंदाज में 1947 से जम्मू कश्मीर के इतिहास से लेकर संविधान में दी गई और अस्थाई व्यवस्थाओं पर शांत भाव से बिना हिचकिचाहट के, बिना कोई दस्तावेज देखे, चेहरे पर अटल आत्मविश्वास लिए भारत की बात सामने रखी थी। वह वीडियो आज भी यूट्यूब वायरल है।

 इस प्रकार विदेशमंत्री एस. जयशंकर अपनी दृढ़ इच्छाशक्ति, सच्ची देशभक्ति और यूं कहें कि एक सख्त प्रशासक से जानकार विदेशमंत्री के रूप में हम सभी के बीच में अपने कर्तव्यों का निर्वहन कर रहे हैं।

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